Dehradun milap : इस सेंटर में पुरोहित और उनकी टीम द्वारा 3.5 इंच से लेकर चार फीट ऊंचाई तक के श्रीराम मंदिर के प्रतीक बनाए जा रहे हैं, जिनके मूल्य भी उसी हिसाब से निर्धारित किए गए हैं। एक प्रतीक को तैयार करने में 20 से 30 मिनट का समय लग रहा है। यहां एक दिन में 55 से 60 नग तक तैयार हो रहे हैं।
3,000 से अधिक नग अयोध्या भेजे जा चुके
बीते दो माह में मंदिर के सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े प्रतीक के 3,000 से अधिक नग अयोध्या भेजे जा चुके हैं। इन प्रतीकों को थर्माकोल के साथ गत्ते के डिब्बों में पैकिंग कर भेजा जा रहा, जिससे ये सुरक्षित रहें। सेंटर को अयोध्या से अन्य कई व्यापारियों ने भी मंदिर के प्रतीक बनाने के लिए कहा है।
सीएनसी थ्रीडी लेजर से हो रही डिजाइन की कटिंग
श्रीराम मंदिर के प्रतीक बनाने के लिए सबसे पहले कंप्यूटर पर डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं। यहां से इन डिजाइन को सीएनसी (कंप्यूटराइज्ड न्यूमेरिकल कंट्रोल) थ्रीडी लेजर कटिंग मशीन में ट्रांसफर किया जाता है। जहां मशीन में डिजाइन के हिसाब से कटिंग की जाती है। इसके बाद काटे गए प्रत्येक हिस्से को जोड़कर प्रतीक तैयार किया जाता है। इन प्रतीक को रंगों से सजाया जाता है।
दिल्ली से मंगाई जा रही पाइन वुड
श्रीराम मंदिर के प्रतीक बनाने के लिए केदार इनोवेशन सेंटर द्वारा नई दिल्ली से पाइन वुड मंगाई जा रही है। यह चार फीट लंबी व चार फीट चौड़ी शीट के आकार में होती है, जो हल्के बादामी रंग की होती है। सेंटर द्वारा एक समय में पाइन वुड के दो से तीन हजार पीस मंगाए जा रहे हैं, जिससे कार्य निरंतर चलता रहे।
लोगों को मिल रहा रोजगार
केदार इनोवेशन श्रीराम मंदिर के प्रतीक बनाने के कार्य में आठ स्थानीय लोगों को रोजगार भी दे रहा है। इस कार्य में कुछ युवतियां व कुछ महिलाएं हैं, जो अपने घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ शेष समय में प्रतीक तैयार कर रही हैं।
बीते वर्ष केदारनाथ यात्रा में अयोध्या के कुछ व्यापारी आए थे और केदारनाथ मंदिर के प्रतीक देखे, जो उन्हें बहुत पसंद आए। उन्होंने केदारनाथ मंदिर की तरह श्रीराम मंदिर के प्रतीक बनाने को कहा, जिस पर यह कार्य शुरू किया गया। बीते दो माह में संबंधित व्यापारियों को उनकी मांग के हिसाब से तीन हजार मंदिर के प्रतीक भेज दिए गए हैं।