Dehradun Milap : 12 नवंबर को उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल 17 दिनों के बाद बाहर निकाल लिया गया है। सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं, जिनको मेडिकल देखरेख में रखा गया है। वहीं अब सुरंग से बाहर आए एक मजदूर ने अपनी जुबानी 17 दिनों की आपबीती साझा की है।
श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए जिस ऑगर मशीन से शुरुआत की गई आखिर में उसी राह से उन्हें बाहर निकाला गया। पूरे ऑपरेशन में ऑगर कई बार रुकी, सुरंग में कंपन हुआ, सुरंग में उलझ गए मशीन के कई पार्ट काटकर निकालने पड़े, लेकिन विशेषज्ञ डटे रहे और धैर्य बनाए रखा।
कुछ दिनों की मशक्कत के बाद उन्हें उम्मीद हो गई थी कि सबसे सुरक्षित राह यही है। वर्टिकल ड्रिलिंग और टनल के दूसरे छोर को भी खोलने की कवायद शुरू हुई। जब ऑगर ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया तो इसे उन रैट माइनर्स का साहस और धैर्य ही माना जाएगा जिनके हाथों ने उसी पाइप में दिन रात मैनुअल ड्रिलिंग कर 41 परिवारों में उजियारा फैला दिया।
20 नवंबर तक उन्हें केवल जरूरी दवाएं, चने और ड्राई फ्रूट ही इस चार इंच के पाइप से प्रेशर के माध्यम से भेजे जाते रहे। सभी मजदूर इससे किसी तरह अपनी भूख शांत कर जिंदादिली से उन पलों का इंतजार करते रहे, जब उन्हें बचाकर बाहर निकाला जाएगा। कई मजदूरों को पेट दर्द की शिकायत भी हुई। बावजूद इसके उन्होंने हौसला नहीं हारा।20 नवंबर को जैसे ही छह इंच के पाइप को भीतर तक पहुंचाने में कामयाबी मिली तो मजदूरों को भी कुछ राहत मिलनी शुरू हो गई। उन्हें खिचड़ी, केले, संतरे, दाल-चावल, रोटी के अलावा ब्रश, टूथपेस्ट, दवाएं, जरूरी कपड़े आदि भेजे गए।
टनल के भीतर इन 13 दिन में उनकी दिनचर्या तो कुछ बनी, लेकिन बाहर आने की व्याकुलता बरकरार रही। डॉक्टर, मनोचिकित्सक उनका हौसला बढ़ाते रहे। आखिरकार इसी जीवंतता के दम पर वह मजदूर सुरक्षित बाहर निकलने में सफल हो पाए।
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में करीब 400 घंटे तक फंसे रहे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में बमुश्किल एक घंटे का समय लगा। 17 दिन तक बचाव अभियान उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूलता रहा।
मंगलवार को जब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री वीके सिंह सिलक्यारा पहुंचे और मुख्यमंत्री भी सिलक्यारा लौटे तो संकेत साफ हो गए कि आज मजदूरों के अंधेरी सुरंग से बाहर निकलने का समय आ गया है। शाम होते ही खबर आ गई। 12 नवंबर को दिवाली के दिन 4 मजदूर सुरंग में फंसे थे और 17वें दिन बाहर निकले।