चारधाम यात्रा से पहले नहीं मिल रहे अच्छे संकेत, बद्रीनाथ धर्माधिकारी ने किया कौन सा इशारा!

Dehradun milap : चारधाम यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल 2025 को खुलेंगे. गंगोत्री धाम के कपाट भी इसी दिन यानी 30 अप्रैल को खुल जाएंगे. इसके बाद केदारनाथ धाम के कपाट 02 मई 2025 को खुलेंगे. बद्रीनाथ के कपाट 04 मई 2025 को भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे.

लेकिन उससे पहले जोशीमठ से 20 किलोमीटर आगे तपोवन के पास प्राकृतिक रूप से बहने वाला गर्म पानी का स्रोत सूख गया है. भविष्य बद्री के चरणों से निकलने वाले इस गर्म पानी के स्रोत के अचानक सूख जाने से चिंता पैदा हो गई है. क्‍योंकि लबालब पानी वाले इस जल स्रोत का एकाएक सूख जाना स्‍थानीय लोगों के लिए परेशानी के साथ ही भूविज्ञानियों के लिए भी शोध का विषय बन गया है. चार धाम यात्रा से पहले ऐसा होना ठीक नहीं माना जा रहा है. सिर्फ यही नहीं, बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी तक इसे अच्‍छा संकेत नहीं मान रहे हैं. उन्‍होंने पर्यटकों को भी इसके लिए जिम्‍मेदार माना है. आइये जानते हैं ये पूरा माजरा है क्‍या?

दरअसल, सलधार नामक जगह पर प्राकृतिक रूप से बहने वाला गर्म पानी का स्रोत सूख गया है. इस स्तोत्र के सूखने के क्या कारण हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है, लेकिन धार्मिक तौर पर देवभूमि में प्राकृतिक चीजों के साथ हो रही छेड़खानी इसका कारण बताया जा रहा है.

बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि भविष्य बद्री के निकट गर्म पानी का यह स्रोत भविष्य बद्री यात्रा से जुड़ा हुआ माना जा रहा था, लेकिन अब इसके सूखने से थोड़ी सी चिंता बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि इस जगह पर आने वाले पर्यटक अंडे उबाल रहे हैं, जोकि ठीक नहीं है.

स्थानीय निवासी प्रकाश कपरुवाण बताते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गर्म पानी के स्रोत पर थर्मल प्लांट लगाने के साथ-साथ इस गर्म पानी के स्रोत को आसपास के होम होमस्टे, होटल में पाइप लाइन के जरिए पहुंचने का प्लान तैयार किया था. इस योजना से पहले ही यह प्राकृतिक स्रोत सूख गया है. इस जगह पर दोबारा प्राकृतिक गर्म पानी के स्रोत पर अध्ययन करने की आवश्यकता दिख रही है.

जिस तरह से बद्रीनाथ धाम में मौजूद तप्त कुंड भगवान बद्री विशाल के चरणों से निकलता है, उसी तरह से भविष्य बद्री के चरणों से यह गर्म पानी का स्रोत सलधार के पास निकलता है. इसका अपना धार्मिक महत्व है. इसलिए इस पर अध्ययन होना आवश्यक है.

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