जंगलों में लगी आग से संकट में वन्यजीव, भोजन की तलाश में आबादी की तरफ आने को मजबूर

Dehradun Milap :  बिनसर अभयारण्य वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही वन्यजीवों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां के जंगली संवासिन तेंदुओं, घुरड़ों, काले भालू, और अन्य अद्भुत प्राणियों के साथ समास्याएं साझा कर रहे हैं। लेकिन वनाग्नि की आग के खतरे ने इस शांति को ध्वस्त करने की संभावना जताई है। वन्यजीवों की संख्या के बढ़ने से उनका अपना स्थान खोने का खतरा भी बढ़ गया है।

जंगल में वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ एक नई समस्या का सामना किया जा रहा है। यहां के अभयारण्य और गांवों के बीच का संतुलन खतरे में है। वन्यजीवों की बढ़ती संख्या ने उनके भोजन की तलाश में नए-नए क्षेत्रों की ओर मुख मोड़ लिया है। इसके साथ ही, अभयारण्य के नजदीकी गांवों में उनके संघर्ष की चिंता भी बढ़ रही है। वन्यजीवों के बारे में चिंता और अभयारण्य के कर्मचारियों के बीच अब एक नई दिशा लिया जा रहा है।

छावनी परिषद के कार्यालय में एक तेंदुआ के सीसीटीवी में कैद होने के बाद, इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। वन विभाग को भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है।

1988 में स्थापित बिनसर अभयारण्य 45.59 किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। यहाँ पर अनेक प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का आवास है। हाल ही में इस अभयारण्य में लगी आग से कई प्राचीन वनस्पतियों का संहार हो गया है। इस संरक्षित क्षेत्र में फॉर्किटेल, ब्लैकबर्ड्स, लाफिंग थ्रश, कालिज तीतर, नटचैचेस, पारकेट, और मोनाल जैसे कई प्रजातियों के दुर्लभ पक्षी मिलते हैं। वनाग्नि से इनके आवासों को भी खतरा है, जिससे कई पक्षियों की मौत का खतरा बना रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *