ठोस कचरा प्रबंधन के लिए इंदौर मॉडल अपनाएगी सरकार, प्रमुख सचिव ने निदेशक से मांगी कार्ययोजना

Dehradun Milap : उत्तराखंड सरकार राज्य में लगातार बढ़ रही कचरे की समस्याओं को लेकर चिंतित है और इसका ठोस समाधान तलाश रही है। ठोस कचरा प्रबंधन के लिए सरकार इंदौर मॉडल को भी अपना सकती है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रमुख सचिव (शहरी विकास) आरके सुधांशु को इंदौर मॉडल का अध्ययन कर इसकी एक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

प्रमुख सचिव के मुताबिक, निदेशक शहरी विकास से 15 दिन के भीतर इंदौर मॉडल की रिपोर्ट मांग ली गई है। पर्यटन राज्य होने के कारण उत्तराखंड में कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती है। राज्य तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की लगाता बढ़ती संख्या को देखते हुए चुनौती लगातार गंभीर होती जा रही है। पिछले दिनों सचिवों की बैठक में ठोस कचरा प्रबंधन पर चर्चा हुई।

मुख्य सचिव ने भावी चुनौती को देखते हुए इंदौर मॉडल को अपनाए जाने की सलाह दी। कचरा प्रबंधन को लेकर लगातार आवाज उठा रहे एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का अनुमान है कि राज्य में 40 लाख किग्रा कचरा रोजाना हो रहा है। इसमें पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आने के बाद जमा होने वाले कचरा शामिल नहीं है। उनके मुताबिक, जिस तेजी के साथ राज्य में कचरा बढ़ रहा है, उसके निपटान के इंतजाम नाकाफी हैं।ठोस कचरा प्रबंधन का ये है इंदौर मॉडल

ठोस कचरा प्रबंधन के मामले में इंदौर मॉडल ने देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कई राज्य इंदौर मॉडल को अपनाने की बात कर चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इंदौर में हर रोज 1900 टन कचरा निकलता है। शुरुआती वर्ष में इसे सूखा और गीला कचरा में विभाजित किया गया और आज इसे छह हिस्सों में गीला, सूखा, हानिकारक घरेलू कचरा, घरेलू बायो मेडिकल, ईवेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट में बांटा गया है। इस हिसाब से डोर-टू-डोर कलेक्शन के लिए 850 वाहनों को डिजाइन किया गया, जिनमें छह कंपार्टमेंट बनाए गए हैं। 8500 से अधिक सफाई मित्र दिन-रात तीन शिफ्ट में काम करते हैं। गीले कचरे से बायो सीएनजी प्लांट बनाया गया है, जिससे शहर की सीएनजीएस बसें संचालित हो रही हैं।

इंदौर मॉडल का अध्ययन करके लौटा दल

शहरी विकास विभाग के अधिकारियों का एक दल पिछले दिनों इंदौर मॉडल का अध्ययन करके लौट आया है। अब अध्ययन दल उत्तराखंड के शहरों की जरूरत के हिसाब से कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है।

आर्थिक संसाधन जुटाना भी चुनौती

इंदौर मॉडल को अपनाने की राह में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक संसाधन जुटाने की है। इस मॉडल को जमीन उतारने के लिए सरकार को वाहनों की संख्या, श्रम बल में कई गुना बढ़ोतरी करनी होगी। इसके लिए बजटीय व्यवस्था करना आसान नहीं होगा।

शहरी विकास विभाग के अधिकारियों का एक दल इंदौर से अध्ययन करके लौट आया है। मैंने निदेशक शहरी विकास को 15 दिन के भीतर इंदौर मॉडल की तर्ज पर ठोस कचरा प्रबंधन की कार्ययोजना देने के निर्देश दे दिए हैं। सरकार इस दिशा में पूरी गंभीरता के साथ आगे बढ़ेगी। – 

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