Dehradun Milap : केन्द्र सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ विधेयक पेश कर दिया है। जिसके पास होते ही संसद के साथ ही विधानसभाओं में भी तस्वीर बदल जाएगी। महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के इस विधेयक में आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था की गई है। साफ है सभी सदस्यों की सीटों के अलावा एससी और एसटी की सीटों पर भी इसका असर पड़ना तय है।
उत्तराखंड की विधानसभा में वर्तमान में 70 सदस्य हैं। वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए 13 और अनुसूचित जनजाति के लिए 2 आरक्षित सीटें हैं। इस समय उत्तराखंड में 9 महिलाएं विधायक हैं। जो कि 13 प्रतिशत है। अगर वर्तमान परिस्थिति के आधार पर महिला आरक्षण लागू होता है तो विधानसभा में 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
अनुसूचित जाति की 13 में से 4 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, अनुसूचित जनजाति के लिए 2 आरक्षित सीटें हैं, तो इसमें वर्तमान में जो परिस्थिति है, वही रह सकती है। बता दें कि महिलाओं के लिए जो आरक्षण है वह एससी व एसटी कोटे के लिए अलग से नहीं है। एससी, एसटी व सामान्य सीटों में आरक्षण को मिलाकर ही 33 प्रतिशत कुल सीटें आरक्षित रहेंगी। इस तरह सामान्य में से 19 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। बता दें कि महिलाएं अनारक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ सकती है।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2027 में होंगे। उससे पहले परिसीमन और जनगणना के बाद ही नई तस्वीर साफ हो पाएगी। जय सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण हैं, वहां महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। महिलाएं सामान्य वर्ग में भी जीतकर आई है। ऐसे में ये तस्वीर विधानसभा में नजर आ सकती है।
वर्तमान विधानसभा की तस्वीर
कुल विधायक-70
महिला विधायक-9
अनुसूचित जाति-13
अनुसूचित जनजाति- 2