Dehradun Milap : 20वीं सदी के महान संतों में से एक बाबा नीम करोली को हनुमान जी का अवतार भी कहा जाता है. लोगों का मानना था उनके पास असीम चमत्कारी शक्तियां हैं जो लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा नीम करोली का असली नाम क्या है और उन्हें ये नाम कैसे मिला. दरअसल ये कहानी बेहद रोचक है. अगर आपने अब तक उनका कोई चमत्कार नहीं देखा या सुना तो कहानी पढ़ने के बाद आपको भी उनकी दिव्य शक्तियों पर यकीन होने लगेगा.
नीम करोली बाबा का असली नाम क्या था?
बाबा नीम करोली के नाम से मशहूर इस संत के असली नाम के बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं. सन् 1900 में उत्तर प्रदेश के जन्मे इन चमत्कारी बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. ये बचपन से ही ज्ञान और ध्यान में रुचि रखते थे.
नीम करोली बाबा नाम कैसे पड़ा ?
नीम करोली बाबा के नाम की कहानी नीबकरोरी गांव से जुड़ी है जो फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में है. कहा जाता है एक बार बाबा ट्रेन से सफर कर रहे थे. तब टीटी ट्रेन में आया और उसने जब बाबा से टिकट का पूछा तो उन्होने मना कर दिया. तब न तो उन्हे अच्छे से जानते थे और न ही उनके चमत्कारों के बारे में कुछ सुना या देखा था.
लक्ष्मीनारायण शर्मा के नाम से जब कोई टिकट टीटी को नहीं मिली तो उसने उन्हें नीबकरोरी स्टेशन पर रास्ते में ही उतार दिया. बाबा को ये बात अच्छी नहीं लगी. उन्होने अपना डेरा उसी स्टेशन के बाहर जमा लिया. कहा जाता है कि जब तक बाबा वहां बैठे रहे तब तक वो ट्रेन वहां से एक इंच भी नहीं हिल पायी.
रेलवे के अधिकारियों ने खूब कोशिश की ट्रेन चलाने की. ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी भी नहीं थी. लेकिन, फिर भी लाख कोशिशों के बाद जब वो ट्रेन चलाने में असफल हुए तो ये जानकारी बड़े अधिकारियों के पास पहुंची. तब उन्हे पता चला की ट्रेन से उस बाबा को उतारने के लिए ट्रेन वहां रोकी गयी थी. तब से बाबा वहीं पास में समाधि लगाए बैठे हैं और ट्रेन नहीं चल रही.
अधिकारियों के कहने पर टीटी ने बाबा ने क्षमा मांगी उन्होने कहा कि ये कोई दिव्य बाबा हैं. उनके आशीर्वाद से ट्रेन फिर से चल सकती है. यही हुआ भी, जैसे ही बाबा से माफी मांगकर उन्हे बुलाया गया वैसे ही ट्रेन चलने लगी. तब से उनका नाम नीम करोली बाबा के नाम से मशहूर हो गया.