उत्तराखंड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का बड़ा घोटाला: जरूरतमंदों की जगह अफसरों ने खुद के घर लगवा लिए सोलर प्लांट

Dehradun milap : उत्तराखंड सरकार की बहुप्रचारित मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। यह योजना जरूरतमंदों और बेरोजगार युवाओं को सौर ऊर्जा के माध्यम से रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन अब इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

जानकारी के अनुसार, कई अधिकारियों ने योजना के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए खुद के घरों और रिश्तेदारों के नाम पर सरकारी अनुदान का लाभ उठाया और सोलर प्लांट लगवा लिए। यह खुलासा तब हुआ जब एक आरटीआई और विभागीय ऑडिट में आवेदकों के दस्तावेजों की जांच की गई, जिनमें कई नाम सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों के पाए गए।

इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को 3 किलोवाट से लेकर 25 किलोवाट तक के सोलर प्लांट पर 30% तक सब्सिडी दी जाती है। लेकिन अधिकारियों ने इस योजना का दुरुपयोग कर असली जरूरतमंदों को पीछे कर दिया।

सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं। ऊर्जा विभाग से जुड़े कई अफसरों से पूछताछ की जा रही है। यदि दोष सिद्ध होते हैं, तो जल्द ही सख्त कार्रवाई हो सकती है।

यह घटना एक बार फिर सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही की जरूरत को उजागर करती है।

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