कैबिनेट का बड़ा फैसला, पहली बार उत्तराखंड में होगा अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन

Dehradun Milap : प्रदेश में पहली बार अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की मान्यता के लिए अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान अधिनियम संशोधन विधेयक विधानसभा में पेश करने की मंजूरी दी है। प्रस्तावित विधेयक में मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी अल्पंसख्यक शिक्षा संस्थानों को प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी। इसके अलावा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में विवाह पंजीकरण की अवधि छह माह बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
रविवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में पांच प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। 19 अगस्त से ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में शुरू हो रहे मानसून सत्र में कई विधेयक पेश करने के लिए कैबिनेट में निर्णय लिया गया। उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान अधिनियम 2025 संशोधन विधेयक भी विधानसभा पटल पर रखा जाएगा। इस विधेयक में अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता के लिए प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।

अभी तक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को मिलता था। अब सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी। संशोधन के बाद अधिनियम लागू होने पर मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में गुरुमुखी व पाली भाषा का अध्ययन किया जा सकेगा। इसके अलावा उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016, उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी व फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 को एक जुलाई, 2026 से निरस्त कर दिया जाएगा।

अधिनियम की मुख्य विशेषताएं

1 – प्राधिकरण का गठन – राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्रदान करेगा।
2 – अनिवार्य मान्यता – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन या पारसी समुदाय द्वारा स्थापित किसी भी शैक्षिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा पाने के लिए प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
3 – संस्थागत अधिकारों की सुरक्षा – अधिनियम अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता बनी रहे।
4 – अनिवार्य शर्तें – मान्यता प्राप्त करने के लिए शैक्षिक संस्थान का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण होना आवश्यक है। भूमि, बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियां संस्थान के नाम पर होनी चाहिए। वित्तीय गड़बड़ी, पारदर्शिता की कमी या धार्मिक एवं सामाजिक सद्भावना के विरुद्ध गतिविधियों की स्थिति में मान्यता वापस ली जा सकती है।
5 – निगरानी एवं परीक्षा – प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार दी जाए और विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो।

अधिनियम का प्रभाव  

•    राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को अब पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से मान्यता मिलेगी।
•    शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।
•    राज्य सरकार के पास संस्थानों के संचालन की निगरानी करने और समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी करने की शक्ति होगी।
यूसीसी : विवाह पंजीकरण की अवधि छह माह से बढ़ा कर एक वर्ष

समान नागरिक संहिता उत्तराखंड (संशोधन) विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। विवाह पंजीकरण की अवधि को छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष किया जाएगा। इसके अलावा एक्ट में रजिस्ट्रार जनरल के पद पर सचिव की जगह अपर सचिव स्तर के अधिकारी की नियुक्ति और एक्ट में सीआरपीसी के साथ बीएनएसएस को जोड़ा जाएगा। एक्ट के प्रावधानों में किए गए संशोधन का विधेयक आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।

विधानसभा में पेश होगा उत्तराखंड साक्षी संरक्षण (निरसन) विधेयक
कैबिनेट ने उत्तराखंड साक्षी संरक्षण (निरसन) विधेयक- 2025 को विधानसभा पेश करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में भारतीय दंड संहिता के अधीन उत्तराखंड साक्षी संरक्षण अधिनियम, 2020 प्रभावी है। जबकि एक जुलाई 2023 से पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है। प्रदेश में भारतीय न्याय संहिता की धारा 398 के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए उत्तराखंड साक्षी संरक्षण अधिनियम निरसन विधेयक सदन पटल पर रखा जाएगा।

लोकतंत्र सेनानियों को दी जाने वाली सुविधाओं को बनेगा कानून
आपातकाल के दौरान जेल गए लोकतंत्र सेनानियों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के लिए कानून बनाने को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। अभी तक यह सुविधा शासनादेश के माध्यम से दी जाती है। इसमें परिवहन, सम्मान राशि, पेंशन शामिल हैं। अब इन सुविधाओं के लिए कानून बनाने का विधेयक विधानसभा में पेश किया जाएगा। लोकतंत्र सेनानियों को 20 हजार रुपये प्रतिमाह की पेंशन दी जाती है।

 

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