Dehradun Milap : राज्य में कई क्षेत्र ऐसे हैं जो कि पहले ग्रामीण थे फिर नगर निकायों में शामिल होकर शहरी बन गए। लेकिन यूपीसीएल के रिकॉर्ड में अभी तक ग्रामीण ही बने हुए हैं। लिहाजा, यूपीसीएल इन्हें ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से ही बिजली आपूर्ति कर रहा है।
दरअसल, देहरादून समेत कई नगर निकायों का सीमा विस्तार हुआ। इस विस्तार के बाद तमाम गांव शहरी निकायों का हिस्सा बन गए। वहां शहरी सुख-सुविधाएं दी जाने लगी। सड़क, स्ट्रीट लाइट, सीवर लाइन समेत तमाम काम हो रहे हैं। लेकिन बिजली अभी भी शहरी मानकों के हिसाब से नहीं आती। कटौती या यूपीसीएल की सुविधाएं यहां अपेक्षाकृत कम हैं।
जब गर्मी या सर्दी के दिनों में बिजली की भारी मांग के बीच किल्लत होती है तो सबसे पहले यूपीसीएल ग्रामीण इलाकों में ही कटौती करता है। इसके बाद छोटे कस्बों में कटौती होती है। इसके बाद ही बड़े शहरों तक बिजली कटौती पहुंचती है। चूंकि इन शहरी क्षेत्रों को यूपीसीएल ने ग्रामीण ही माना हुआ है, इसलिए यहां कटौती सबसे पहले होती है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि शहरी होकर भी यूपीसीएल की वजह से वे ग्रामीण हैं।
देहरादून में 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करके 40 नए वार्ड बनाए गए थे। इन वार्डों का जो हिस्सा पहले यूपीसीएल के रिकॉर्ड में ग्रामीण था, वह आज भी ग्रामीण ही बना है। प्रेमनगर क्षेत्र के बीरू बिष्ट ने पिछले दिनों हुई नियामक आयोग की जनसुनवाई में भी प्रमुखता से ये मुद्दा उठाया था। उन्होंने मांग की है कि प्रदेशभर में यूपीसीएल नए सिरे से अपने मंडलों का पुनर्गठन करे। जो नए शहरी क्षेत्र हैं, उन्हें शहरी मंडलों में लाया जाए।