बलिया बलिदान दिवस 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आजाद हुए देश के तीन जिलों में से एक उत्तर प्रदेश के बलिया जिले ने बृहस्पतिवार को अपनी आजादी की 81वीं वर्षगांठ मनाई

Dehradun Milap : बलिया बलिदान दिवस 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आजाद हुए देश के तीन जिलों में से एक उत्तर प्रदेश के बलिया जिले ने बृहस्पतिवार को अपनी आजादी की 81वीं वर्षगांठ मनाई।19 अगस्त 1942 को यह घटना घटी थी। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन की आग में पूरा जिला जल रहा था। जनाक्रोश चरम पर था। जगह- जगह थाने जलाये जा रहे थे। सरकारी दफ्तरों को लूटा जा रहा था। रेल पटरियां उखाड़ दी गई थी। जनाक्रोश को कुचलने के लिए अंग्रेजी सरकार ने आंदोलन के सभी नेताओं को जेल में बंद कर दिया था। लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। 19 अगस्त को लोग अपने घरों से सड़क पर निकल पड़े थे। जिले के ग्रामीण इलाके से शहर की ओर आने वाली हर सड़क पर जन सैलाब उमड़ पड़ा था। भारी भीड़ शहर की ओर बढ़ रही थी। जैसे ही यह सूचना प्रशासन को मिली उसके होश उड़ गए। अफसरों ने अपने परिवार को पुलिसलाइन में सुरक्षित कर दिया था। तत्कालीन कलेक्टर जे.निगम जिला कारागार पहुंचे थे। जेल में बंद आंदोलन के नेताओं को रिहा करते हुए भीड़ का आक्रोश शांत करने का निवेदन किया था। जेल में बंद आंदोलन के नेता बाहर निकले थे। चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में भीड़ आज के क्रांति और उस समय के टाउनहाल के मैदान में पहुंची थी। वहीं बलिया के आजाद होने की घोषणा हुई थी। चित्तू पाण्डेय आजाद बलिया के पहले कलेक्टर घोषित किए गए थे। अमर सेनानी राज कुमार बाघ, वीर कुंवर सिंह, शहीद पण्डित राम दहिन ओझा, अमर सेनानी मुरली बाबू, शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय की प्रतिमा स्थल पर पहुंचे। लोगों ने इन सेनानियों की प्रतिमा को प्रणाम कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जनकवि पं. जगदीश ओझा सुन्दर ने इस घटना को अपनी कविता में रेखांकित करते हुए कहा था जर्जर तन बूढ़े भारत की यह मस्ती भरी जवानी है । जय हिन्द बलिया बलिदान दिवस पर अमर बलिदानी शहीदों को विनम्र श्रद्धाजंलि और शत शत नमन 🙏💐

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