ब्रिक्स समिट से पहले भारत को मिली बड़ी सफलता, एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर चीन से बनी बात

Dehradun Milap : ब्रिक्स समिट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस रवाना होने से पहले भारत को बड़ी सफलता मिली है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी गतिरोध के हल का अब रास्ता साफ होता दिख रहा है.

पीएम मोदी रूस के कजान शहर में होने वाली ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) समिट में शामिल होने के लिए कल रवाना होने वाले हैं. पीएम मोदी की इस रूस यात्रा से पहले विदेश सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर पेट्रोलिंग को समझौता हुआ है. इस समझौते के बाद एलएसी सैनिकों की वापसी और फिर इस मुद्दे के समाधान का रास्ता साफ हो सकेगा.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए कल कज़ान रवाना होंगे. भारत ब्रिक्स में बहुत महत्व रखता है और इसके योगदान ने आर्थिक विकास, सतत विकास और वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में ब्रिक्स के प्रयासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है… पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के पहले विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन हो रहा है…’

वहीं एलएसी पर गश्त को लेकर चीन से हुए समझौते की जानकारी देते हुए विदेश सचिव मिस्री ने कहा, ‘…पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के बाद भारत और चीन के बीच एलएसी पर पेट्रोलिंग (गश्त) को लेकर सहमति बन गई है और इससे 2020 में इस इलाके में छिड़े विवाद का समाधान हो रहा है.’

ब्रिक्स समिट के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किसी मुलाकात को लेकर पूछे गए सवाल पर मिस्री ने कहा, ‘जहां तक ​​द्विपक्षीय बैठकों का सवाल है, यह एक बहुपक्षीय आयोजन है, हालांकि इसमें हमेशा ही द्विपक्षीय बैठकों होती रही हैं. हम अभी प्रधानमंत्री के पूरे कार्यक्रम पर नजर रख रहे हैं. इस दौरान द्विपक्षीय बैठकों के लिए बहुत सारे अनुरोध हैं और जैसे-जैसे इस पर बात बढ़ेगी, हम द्विपक्षीय बैठकों के बारे में जानकारी देंगे.’

भारतीय और चीनी सैनिक पिछले चार साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तीखे गतिरोध में उलझे हुए हैं. इस कारण से दोनों देशों के बीच रिश्तें भी काफी तल्ख हो गए. एलएसी पर जारी गतिरोध के बीच पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने ब्रिक्स समिट से इतर जोहानिसबर्ग में अनौपचारिक बातचीत की थी. भारत या चीन की तरफ से हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

प्रधानमंत्री मोदी इस सप्ताह 23 और 24 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर वे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार से दो दिनों की यात्रा पर कजान रवाना होंगे.

विदेश मंत्रालय ने इससे पहले बताया था कि पीएम मोदी के कजान में ब्रिक्स देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ बैठक करने की उम्मीद है. राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले महीने ही ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अलग बैठक का प्रस्ताव रखा था. ऐसे में उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी मुलाकात करेंगे, जिसमें दोनों नेता यूक्रेन में जारी लड़ाई पर बातचीत हो सकती है.

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