Dehradun Milap : उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग विकराल रुप धारण कर चुका है। जंगलों से निकली आग रिहायशी इलाकों के साथ ही मंदिरों तक पहुंच गई है।
अल्मोड़ा के प्रसिद्ध दूनागिरि मंदिर परिसर में आग की लपटों के पहुंचने से अफरा तफरी मच गई। आग विकराल रूप लेते हुए मंदिर के गेट तक पहुंच गई। मंदिर में दर्शन करने पहुंचे लोगों में आग को देख कर अफरा तफरी मच गई।
वन विभाग की टीम और स्थानीय लोगों ने तुरंत मंदिर में आए दर्शनार्थियों को वहां से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। सड़क पर खड़े वाहनों को भी घटना स्थल से हटाया गया। इस तरह बड़ी घटना होते बच गई। बताया जा रहा है कि मंदिर के पीछे की ओर कुछ दिनों से आग लगी हुई थी। आग को बुझाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। बावजूद इसके मंदिर परिसर तक आग पहुंचने से हड़कंप मच गया। वन विभाग की टीम ने स्थानीय दुकानदारों और पीआरडी जवानों की मदद से बमुश्किल आग पर काबू पाया।
उत्तराखंड में जंगल की आग ने कहर बरपाया हुआ है। गढ़वाल से कुमाऊं मंडल तक आग विकराल हो गई है। अब तक आग की 910 घटनाओं में 1144 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गया। प्रदेशभर में 1,438 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं और 3,983 फायर वॉचरों को तैनात किया गया है। इसके बावजूद जंगल जगह-जगह धधक रहे हैं।
अब तक गढ़वाल में 482 और कुमाऊं में 355 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि वन्य जीव क्षेत्र में 73 घटनाएं हुई हैं। वनाग्नि की घटनाओं को लेकर वन विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि 1,144 हेक्टेयर जंगल जलने के बाद भी कोई वन्य जीव झुलसा नहीं, न ही किसी की आग की चपेट में आकर मौत हुई है। पिछले दिनों अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के जंगल में भीषण आग लगने से 4 लीसा श्रमिकों की जान चली गई थी। ये श्रमिक भी जंगल में लगी आग को बुझाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन आग ने इतना विकराल रूप लिया कि नेपाल निवासी चार लीसा श्रमिक वनाग्नि की चपेट में आ गए थे।