वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की जेपीसी की मुहर, इन बदलावों के साथ स्वीकारा गया विधेयक

Dehradun Milap : वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने मुहर लगा दी है. हालांकि, विधेयक के मसौदे में जेपीसी ने 14 संशोधनों को स्वीकार किया है. नए संशोधनों के तहत, प्रस्तावित अधिनियम के लागू होने के बाद, अब छह माह के अंदर वेबसाइट पर संपत्ति की जानकारी देना अनिवार्य हो गया है. वहीं, अब मुतवल्ली को प्रदेश में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि के अधीन अवधि बढ़ाने का अधिकार होगा. इसके अलावा, न्यायाधिकरण में मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को सदस्य के रूप में शामिल करना होगा.

बीजेपी सांसद बृजलाल ने राय दी कि राज्य सरकार अधिसूचना के जरिए कलेक्टर के स्तर से ऊपर के किसी भी अधिकारी को जांच के लिए नामित कर सके, सांसद की इस राय को समिति ने स्वीकार कर लिया. मामले में मुस्लिम संगठनों ने कलेक्टर को दिए जाने वाले अधिकार पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कलेक्टर ही राजस्व अभिलेखों का प्रमुख होता है. कलेक्टर द्वारा की गई जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती क्योंकि वे अपने कार्यालय के दावे के आधार पर ही जांच करेंगे.

इसके अलावा, एक अहम संशोधन ये भी रहा कि अब सिर्फ वही व्यक्ति संपत्ति वक्फ कर पाएगा, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा होगा. साथ ही उस व्यक्ति को अब साबित भी करना होगा कि पांच साल से वह इस्लाम को मान रहा है.

वक्फ संशोधन विधेयक में जेपीसी द्वारा मंजूर किए गए अन्य संशोधन
वक्फ ट्रिब्यूनल में दो की जगह तीन सदस्य होंगे. तीसरा सदस्य इस्लाम का विद्वान होगा.
वक्फ संपत्ति सरकारी है या फिर नहीं, इसकी जांच वक्फ ट्रिब्यूनल नहीं बल्कि जिले का कलेक्टर करेगा. ध्यान दीजिएगा कि वक्फ संपत्ति का फैसला सिर्फ जिला कलेक्टर के हाथों में नहीं रहेगा, क्योंकि सरकार कलेक्टर या उसके शीर्ष अधिकारी का चयन भी कर सकती है.
वक्फ बोर्ड काउंसिल में कम से कम दो गैर मुस्लिम सदस्य होंगे. इसके अलावा, राज्य सरकार या फिर केंद्र सरकार भी एक अधिकारी तय करेगी, जो मुस्लिम या फिर गैर मुस्लिम दोनों हो सकता है.
इसके अलावा, किसी भी प्रकार के विवाद में उलझी संपत्ति वक्फ नहीं की जा सकेगी.

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