दस किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वालों के होंगे ठाठ, इस रिपोर्ट की अनिवार्यता की खत्म

Dehradun Milap : पीएम-सूर्य घर योजना के तहत अब 10 किलोवाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाने वालों का सपना तेजी से साकार होगा। सरकार ने इस क्षमता तक के संयंत्रों में यूपीसीएल की तकनीकी जांच की अनिवार्यता खत्म कर दी है। नियामक आयोग के आदेश के बाद यूपीसीएल ने भी इस संबंध में मुख्य अभियंताओं को निर्देश जारी कर दिए हैं।

पीएम-सूर्य घर योजना के तहत संयंत्र लगाने वालों को सरकार सब्सिडी दे रही है। दो किलोवाट का संयंत्र लगाने वालों को 30 हजार रुपये प्रति किलोवाट, तीन किलोवाट वालों को 18 हजार रुपये प्रति किलोवाट और इससे अधिक किलोवाट क्षमता वालों को अधिकतम 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। एक किलोवाट संयंत्र पर 55 से 60 हजार रुपये का खर्च आता है।

संयंत्रों के लिए यह अनिवार्यता खत्म
यानी अगर कोई दो किलोवाट का संयंत्र लगाता है, तो उसका कुल खर्च 1.10 से 1.20 लाख रुपये आएगा, जिसमें 60 हजार की सब्सिडी सरकार देगी। दो किलोवाट पर उपभोक्ता का खर्च 50 से 60 हजार रुपये का आएगा। अभी तक सभी संयंत्रों के लिए यूपीसीएल को तकनीकी रिपोर्ट (टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट) देनी होती थी, जिसमें समय लग रहा था।

लेकिन, अब 10 किलोवाट तक के संयंत्रों के लिए यह अनिवार्यता खत्म हो गई है। जैसे ही आवेदन यूपीसीएल के पास पहुंचेगा तो एक दिन के भीतर उसका निस्तारण करना होगा। इससे एक संयंत्र स्थापित होने में बेहद कम समय लगेगा।

उत्तराखंड से आठ हजार आवेदन

पीएम-सूर्य घर योजना के लिए वेबसाइट https://www.pmsuryaghar.gov.in/ के माध्यम आवेदन कर सकते हैं। उत्तराखंड से 13 फरवरी से 18 मई तक 8,107 आवेदन आ चुके हैं। सोलर संयंत्र लगाने के लिए 167 वेंडरों ने भी आवेदन किया है। देहरादून से सर्वाधिक करीब तीन हजार आवेदन आ चुके हैं।

किसके लिए कितनी क्षमता बेहतर

ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, अगर आपकी बिजली की खपत 0-150 यूनिट प्रतिमाह है, तो आपके लिए एक-दो किलोवाट का संयंत्र सही रहेगा। अगर खपत 150-300 यूनिट प्रतिमाह है तो दो से तीन किलोवाट और अगर इससे अधिक है तो तीन किलोवाट से ऊपर का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना होगा।

पीएम-सूर्य घर योजना के तहत हर घर सौर ऊर्जा से रोशन होगा। इसके लिए आए हुए आवेदनों में 10 किलोवाट तक के आवेदन प्राथमिकता पर एक दिन के भीतर निस्तारित होंगे। इसमें तकनीकी व्यवहार्यता रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म हो चुकी है। हमारा मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा वेंडर हों, ताकि उपभोक्ताओं को कम से कम कीमत पर सौर ऊर्जा संयंत्र मिल सकें।

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