क्या होता है ग्रीन टैक्स? जिसके लागू होते ही दिसंबर से उत्तराखंड में महंगा हो जाएगा सफर

उत्तराखंड राज्य के 25 साल पूरे होने के अवसर पर प्रदेश को पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उत्तराखंड परिवहन विभाग एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। उत्तराखंड में अब बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीन सेस की वसूली की जाएगी।

देहरादून: उत्तराखंड में बाहरी प्रदेश से आने वाले वाहनों को दिसंबर महीने से ग्रीन सेस देना होगा। प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अन्य राज्य से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस लगाया जा रहा है। जिसकी वसूली दिसंबर महीने से शुरू कर दी जाएगी। कुल मिलाकर उत्तराखंड में बाहरी राज्य से आने वाले वाहनों के लिए दिसंबर महीने से सफर महंगा होने वाला है।

उत्तराखंड के अपर परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह के अनुसार, राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगाए गए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (एएनपीआर) कैमरे बाहरी राज्य से प्रदेश में आने वाले वाहनों के नंबरों को मॉनिटर करेंगे। यह कैमरे वाहनों के पंजीकरण नंबर को स्वत: ही पहचान लेंगे। अपर परिवहन आयुक्त के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 37 कैमरे लगाए गए हैं। पहले इन कैमरों की संख्या 16 थी, जिन्हें अब बढ़ा दिया गया है।

उन्होंने बताया कि ग्रीन सेस वसूली के लिए एक वेंडर कंपनी को भी नियुक्त किया गया है। कैमरे से मिलने वाला डेटा सॉफ्टवेयर के जरिए वेंडर के पास जाएगा। जहां से उत्तराखंड की पंजीकृत गाड़ियों, दोपहिया वाहनों और सरकारी वाहनों को अलग कर बाकी अन्य वाहनों की जानकारी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के डेटाबेस में भेजी जाएगी। वहां से वाहन मालिकों के वॉलेट नंबर खोजे जाएंगे और संबंधित राशि स्वचालित रूप से उनके वॉलेट से कटकर परिवहन विभाग के खाते में जमा हो जाएगी।

इतना लिया जाएगा ग्रीन सेस

उन्होंने बताया कि विभिन्न श्रेणी के वाहनों के लिए अलग-अलग टैक्स की दरें तय की गई है। इन दरों के अनुसार, छोटी गाड़ियों को 80 रुपये, छोटे मालवाहक गाड़ियों से 250 रुपये, बसों से 140 और ट्रक से उनके भार के अनुसार 120 से 700 रुपये तक ग्रीन सेस लिया जाएगा।

24 घंटे तक मान्य रहेगा

उत्तराखंड आने वाली गाड़ियों का ग्रीन सेस फास्टैग से ऑटोमेटिक तरीके से कट जाएगा। यदि कोई वाहन 24 घंटे के अंदर दोबारा राज्य में प्रवेश करता है, तो उसे ग्रीन सेस नहीं देना होगा, जबकि सरकारी वाहन, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी इस ग्रीन सेस से मुक्त रहेंगी। इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन भी इस छूट में शामिल किए गए हैं। राज्य में प्रवेश करते ही ग्रीन सेस लागू हो जाएगा और इसकी वैधता 24 घंटे की होगी।

प्रदूषण में बढ़ोतरी होने पर ग्रीन टैक्स लगाया जाता है

ग्रीन सेस से होने वाली कमाई को प्रदूषण नियंत्रण, सड़क सुरक्षा और शहरी पर्यावरण सुधार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। ग्रीन सेस वह टैक्स है, जिसे प्रदूषण कर या पर्यावरण कर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का उत्पादन शुल्क है, जो सरकार द्वारा उन वस्तुओं पर लगाया जाता है, जिससे प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

इस टैक्स को लगाने का उद्देश्य लोगों को ऐसी वस्तुओं के उपयोग से हतोत्साहित करना होता है, जिससे प्रदूषण होता है। इस ग्रीन सेस को लेने का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के लिए धन जुटाना है। जिसका उपयोग प्रदूषण नियंत्रण, वनीकरण और हरित ऊर्जा जैसे कार्यों में किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *