Dehradun Milap : उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक वन्य जीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहाड़ों में आए दिन गुलदार मासूम बच्चों को शिकार बना रहे हैं। अब शहरों में भी गुलदार की धमक सुनाई देने लगी है। इस बीच राजधानी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान(एफआरआई) में भी गुलदार का डर साफ देखा जा रहा है।
गुलदार के खौफ के कारण देहरादून एफआरआई पांच दिनों के लिए पर्यटकों के लिए बंद किया गया है। संस्थान में दो से छह अक्तूबर तक पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित है। पिछले एक सप्ताह से एफआरआई में लगातार गुलदार दिख रहा है। परिसर में उसके शिकार के अवशेष भी मिल चुका है।
एफआरआई परिसर में लोग सुबह शाम घूमने भी पहुंचते हैं। लेकिन इन पर भी पाबंदी लगा दी गई है। गुलदार की सक्रियता बढ़ने से पर्यटकों की सुरक्षा को कोई खतरा न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है। गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया है। कैमरा ट्रैप भी लगाया गया है, लेकिन गुलदार कैमरे में कैद नहीं हुआ है। टीम परिसर में लगातार गश्त कर रही है। भारतीय वन अनुसंधान संस्थान परिसर करीब 7 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वन अनुसंधान संस्थान मौजूदा समय में भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान प्रणाली में देश की सर्वोच्च निकाय है।
साल 1991 में वन अनुसंधान संस्थान को यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सिफारिशों पर डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। जो कि शिक्षा, शोध के साथ ही फिल्म मेकर और घूमने फिरने के शौकीन लोगों के लिए एक खास जगह है। यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
टिहरी के भिलंगना रेंज की पट्टी हिंदाव के पूर्वाल गाँव में तीन वर्षीय मासूम को निवाला बनाने वाले गुलदार को मारने के आदेश दिए गए हैं। वन विभाग ने तत्काल गांव में दो शूटरों टीम की दो टीम बना कर तैनात कर दिये हैं। साथ ही दो पिंजरे, ट्रेप कैमरे भी लगा दिये गये हैं।बीते रविवार की शाम पुरवाल गांव में 5 बजे घर के आंगन में अपने मामा के बच्चों के साथ खेल रहे मासूम को गुलदार ने घर के आंगन से उठा लिया था। मासूम का घर के पास क्षत विक्षप्त अवस्था में शव बरामद हुआ था। इसके बाद ग्रामीणों ने गुलदार को पकड़ने की मांग की। जिस पर वन विभाग ने मोके पर जाकर विभाग द्वारा गांव में दो शूटर तैनात कर दिये है, साथ ही दो पिंजरे, और दो जगहों पर आठ- आठ ट्रेप कैमरे लगा दिये गये हैं।