Uttarakhand: तबादलों के लिए गैर नहीं है देहरादून, शिक्षा विभाग को मिले आवेदन, अधिकतर शिक्षकों की एक ही चाहत

शिक्षा विभाग को तबादले के लिए आवेदन मिले हैं। अधिकतर शिक्षक पर्वतीय जिलों से देहरादून में तबादला चाहते हैं।

प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों के लिए देहरादून गैर नहीं है। तबादलों के लिए शिक्षा विभाग को शिक्षकों के जो आवेदन मिले हैं, उसमें अधिकतर शिक्षक देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल में तबादला चाहते हैं। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक देहरादून में सबका तबादला संभव नहीं है, एक्ट में जो व्यवस्था है उसी के अनुरूप तबादले होंगे।

उत्तराखंड की राजधानी का सवाल आते ही, गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग की जाती है। पिछले दिनों विस के विशेष सत्र में भी गैरसैंण राजधानी का मसला चर्चाओं में रहा। कुछ विधायकों का कहना था कि शिक्षकों से तबादलों के लिए मांगे गए आवेदनों से यह बात सामने आई है। शिक्षा के अधिकारियों के मुताबिक अधिकतर शिक्षकों ने देहरादून में तबादले के लिए आवेदन दिया है। जबकि कुछ अन्य चाहते हैं कि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में उनका तबादला हो।

एक स्तर ऊपर के अधिकारी करेंगे तबादला : शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक तबादला सत्र समाप्त हो चुका है। ऐसे में अनुरोध के आधार पर तबादले एक स्तर ऊपर के अधिकारी के स्तर से किए जाएंगे। प्रवक्ता का तबादला शिक्षा निदेशक के स्थान पर डीजी स्तर से किया जाएगा। जबकि एलटी शिक्षकों का अपर निदेशक के स्थान पर शिक्षा निदेशक के स्तर से किया जाएगा।

शिक्षकों के सुगम-दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य तबादलों का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं, लेकिन अनुरोध के आधार पर तबादलों के लिए कोर्ट से राहत मिली है। जिसे देखते हुए एक्ट में दी गई व्यवस्था का परीक्षण कर अनुरोध के आधार पर तबादले किए जाएंगे। -रविनाथ रामन, शिक्षा सचिव

बेसिक शिक्षा में मानक के अनुरूप मांगे आवेदन
जनभावनाओं को देखते हुए गैरसैंण भराड़ीसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाया जाए। विधायकों के साथ ही शिक्षक भी पहाड़ की राजधानी पहाड़ में चाहते हैं लेकिन पहाड़ में तैनाती की बात आने पर इन्हें पर्वतीय जिलों में नहीं बल्कि सुगम जिलों में तबादला चाहिए। बेसिक शिक्षा विभाग ने अनुरोध के आधार पर तबादलों के लिए मानक के अनुरूप आवेदन मांगे हैं। बताया गया है कि बड़ी संख्या में जिलों में आए आवेदनों को सीधे निदेशालय और निदेशालय से शासन को भेज दिया गया। यही वजह है कि अब मानकों में आने वाले आवेदन ही निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

 

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