दिल्ली ब्लास्ट: क्या है तुर्की, पाकिस्तान और अफगानिस्तान वाला त्रिकोण, मौलवी की कुंडली ने उगले डॉ उमर के राज

दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार धमाके का कनेक्शन अब तुर्की, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक जुड़ रहा है। डॉक्टर टेरर मॉड्यूल के रूप से कुख्यात हो रहे इस आतंकी साजिश में शोपियां के मौलवी इरफान अहमद की भूमिका का दायरा बढ़ता जा रहा है।

दिल्ली में लाल किला धमाके की जांच तुर्की, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के त्रिकोण में उलझ गया है। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) और दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सामने इस गुत्थी को सुलझाने की चुनौती सामने आ रही है। क्योंकि, अब तक की जांच में दिल्ली धमाकों के तार इन तीनों ही मुल्कों में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलरों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इन तीनों मुल्कों में मौजूद आतंकवादी हैंडलरों के बीच शोपियां का मौलवी इरफान अहमद वाघय मुख्य कड़ी के रूप में उभर कर सामने आया है। लाल किले के पास आई20 कार में विस्फोट करने वाला सुसाइड बॉम्बर डॉ उमर उन नबी इस मौलवी का बेहद खास था।

‘डॉक्टर टेरर मॉड्यूल’ का मास्टरमाइंड मौलवी

जम्मू और कश्मीर के शोपियां से गिरफ्तार मौलवी इरफान अहमद वाघय को ‘डॉक्टर टेरर मॉड्यूल’ का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। एनआईए इसके साथ ही गांदरबल के वाकुरा से गिरफ्तार जमीर अहमद की भूमिका की भी जांच करेगी। इन्हें 20 से 27 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। मौलवी को फरीदाबाद से बम बनाने वाले केमिकल और हथियारों की जब्ती और लाल किला विस्फोट से पहले ही पकड़ लिया गया था, जिसमें अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है।

इलाज के दौरान डॉक्टरों के संपर्क में आया मौलवी

पुलिस के मुताबिक मौलवी इरफान एक हाफिज-ए-कुरान है, जिसने पूरा पवित्र कुरान याद कर रखा है। जामा मस्जिद ज्वाइन करने से पहले उसने श्रीनगर के एक मदरसे से मुफ्ती का कोर्स भी पूरा किया, जहां वह किराये के मकान में रहता था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, ‘इरफान संभवत: श्रीनगर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों के संपर्क में आया। बाद में उनका संपर्क बना रहा और सोशल मीडिया पर यह और मजबूत हुआ।’

आतंकी डॉक्टरों के टेरर लिंक की पड़ताल जारी

जांचकर्ताओं ने अपनी जांच का दायरा और बढ़ाते हुए डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में अब तक गिरफ्तार सारे डॉक्टरों के लिंक खंगालने के लिए श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अनंतनाग जीएमसी में भी टीमें भेजीं हैं। उधर एनआईए ने एक स्पेशल टीम बनाई है, जो दिल्ली धमाके की जांच कर रही है और यूपी के सहारनपुर से 5 नवंबर को गिरफ्तार डॉ अदील से भी पूछताछ करने वाली है। अधिकारियों का कहना है कि ये सारे लोग पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से प्रभावित हैं और 2019 में पुलवामा हमले की तरह ही वाहन में आईईडी (vehicle-borne IED-VBIED))लगाकर हमले की साजिश रच रहे थे, जैसा कि आदिल डार ने किया था। पुलिस ने हरियाणा के एक गांव से एक और ऐसी संदिग्ध लाल रंग की इकोस्पोर्ट्स कार बरामद भी की है।

मौलवी इरफान का बेहद खास था डॉ उमर नबी

अब तक की जांच में यह बात भी सामने आई है कि लाल किले का सुसाइड बॉम्बर डॉ उमर नबी मौलवी इरफान अहमद का बहुत ही खास था। जबकि, लखनऊ की रहने वाली और फरीदाबाद के अल-फलह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ शाहीन सईद डॉक्टर टेरर मॉड्यूल की फाइनेंसर रही है, जिसे जैश ने अपने महिला विंग जमात-उल-मोमिन्नत की कथित भारतीय कमांडर बना रखा है।

तुर्की, पाकिस्तान और अफगानिस्तान वाला त्रिकोण

अभी तक जांचकर्ताओं को यह पता लग चुका है कि मौलवी इरफान वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (Voice over Internet Protocol-VoIP) के जरिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद हैंडलरों से लगातार संपर्क में बना हुआ था। एनबीटी ऑनलाइन ने पहले की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया था, लेकिन तब सिर्फ अफगानिस्तान हैंडलर से बात करने की खबर थी। इसी तरह से एनबीटी ऑनलाइन यह भी रिपोर्ट दे चुका है कि दिल्ली के पहले फिदायीन हमले का आरोपी डॉ उमर नबी और गिरफ्तार आतंकी डॉ मुजम्मिल शकील तुर्की का भी हाल में दौरा कर चुका था, जिसके बारे में आशंका है कि ये लोग वहां जैश के आकाओं से निर्देश लेने पहुंचे थे। इस तरह से दिल्ली में हुए लाल किले धमाके और डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में तुर्की, पाकिस्तान और अफगानिस्तान वाला त्रिकोण स्थापित हो चुका है, जिसकी हर परतों को जोड़ना अब जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है।

 

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