संसद तक पहुंच गया AI! अनुवादकों की जगह ले सकती है तकनीक

 संसद में, विशेषकर लोकसभा में, कई सदस्य पढ़कर बोलने के बजाय स्वतःस्फूर्त भाषण देते हैं। इसी कारण पहले राज्यसभा में इस AI योजना को रोकना पड़ा था। अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एसआईएस सेवा में एआई के उपयोग की योजना आगे बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है।

संसद की दर्शक दीर्घाओं में प्रत्येक सीट के पास छोटे-छोटे ईयरफोन रखे होते हैं, जिनसे लोकसभा-राज्यसभा में बोल रहे सदस्यों के भाषण का हिंदी, अंग्रेजी सहित कई प्रादेशिक भाषाओं में तत्काल मौखिक अनुवाद सुनाई देता है। अब इसके लिए AI की सहायता लेने की योजना है, जिसे संसद के वरिष्ठ अधिकारियों ने आगे बढ़ा दी है। इसे दोनों सदनों की मौजूदा तत्काल या समकालिक भाषांतरण सेवा विभाग (SIS) का अस्तित्व वर्ष 2026 में समाप्त होने का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है।

2026 तक खत्म हो सकता है ट्रांसलेशन सर्विस डिपार्टमेंट

एसआईएस विभाग में राज्यसभा में 21 और लोकसभा में लगभग 50 स्थायी अनुवादक है। लोकसभा के कामकाज का 22 भारतीय भाषाओं में, प्रत्येक भाषा के लिए कम से कम दो-तीन, तत्काल अनुवाद करने वाले अनुवादक भी मौजूद हैं। प्रादेशिक भाषाओं में बोलने के लिए संबंधित सदस्यों को अभी अलग से लिखित सूचना देनी पड़ती है। राज्यसभा में मराठी, कोंकणी, कन्नड़, मलयालम आदि भाषाओं के कई अनुवादक पद वर्तमान में रिक्त है।

AI योजना को रोकना पड़ा था

संसद में, विशेषकर लोकसभा में, कई सदस्य पढ़कर बोलने के बजाय स्वतःस्फूर्त भाषण देते हैं। इसी कारण पहले राज्यसभा में इस AI योजना को रोकना पड़ा था। अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एसआईएस सेवा में एआई के उपयोग की योजना आगे बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है, ऐसा सूत्रों ने महाराष्ट्र टाइम्स को बताया।

1960 से ट्रांसलेशन सर्विस

संसद की तत्काल भाषांतरण सेवा ( ट्रांसलेशन सर्विस) 1960 के दशक में शुरू हुई थी। एक ही समय में अंग्रेजी, हिंदी और विभिन्न प्रादेशिक भाषाओ के बूथों में संबंधित विशेषज्ञ अनुवादक बैठे होते हैं। कार्यवाही शुरू होते ही ये अनुवादक, सदन में जो कुछ भी बोला जा रहा है, उसे तुरंत मौखिक अनुवाद करना शुरू कर देते हैं।

 

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